MANAGEMENT OF THIRD STAGE OF LABOR IN HINDI

                                              

                   MANAGEMENT OF THIRD STAGE OF LABOR IN HINDI

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प्रसव के तृतीय चरण का प्रबंधन (Management of Third Stage of Labor)

परिचय

  • प्रसव का तृतीय चरण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

  • सामान्य प्रथम और द्वितीय चरण भी अचानक असामान्य बन सकते हैं और गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं।

  • इस चरण के प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य है –

    • सतर्क निगरानी रखना

    • निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना

    • जटिलताओं की रोकथाम करना (विशेषकर Postpartum Hemorrhage)


प्रबंधन की विधियाँ

तृतीय चरण के प्रबंधन की दो विधियाँ प्रचलित हैं –

  1. Expectant Management (प्रतीक्षा आधारित प्रबंधन)

  2. Active Management (सक्रिय प्रबंधन – पसंदीदा)


1. Expectant Management

  • इसमें प्लेसेंटा (अवस्थापना) का अलग होना और योनि में नीचे आना स्वाभाविक रूप से होने दिया जाता है।

  • आवश्यकता पड़ने पर केवल न्यूनतम सहायता दी जाती है।

  • रोगी को कभी अकेला न छोड़ा जाए, निरंतर निगरानी की जाए।

  • महिला को dorsal recumbent position में रखा जाए।

Fundus palpation (गर्भाशय फंडस का स्पर्श परीक्षण):

  • (a) प्लेसेंटा के अलग होने के लक्षण पहचानने के लिए

  • (b) गर्भाशय की गतिविधि (संकुचन और शिथिलता) जानने के लिए

  • (c) फंडस की "cupping" पहचानने के लिए (गर्भाशय उलटने का प्रारंभिक लक्षण)

Placenta separation के लक्षण:

  • गर्भाशय का संकुचन

  • प्रसव पीड़ा जैसी भावना

  • रक्त का फव्वारा (10–20 सेकंड में बंद हो जाना)

  • नाल (cord) का लंबा होना

Placenta निकालना:

  • जैसे ही अलग होने के लक्षण दिखें, महिला को जोर लगाने के लिए कहा जाए।

  • प्रायः महिला हल्के प्रयास से ही प्लेसेंटा बाहर निकाल देती है।

  • प्लेसेंटा बाहर आते ही उसे पकड़कर धीरे-धीरे घुमाया जाता है ताकि झिल्ली (membranes) पूरी निकल आएँ।

  • यदि झिल्ली फटने लगे तो उसे स्पॉन्ज-होल्डिंग फोर्सेप्स से पकड़कर घुमाते हुए बाहर निकाला जाता है।

  • यदि स्वतः निष्कासन न हो तो bimanual technique से गर्भाशय को ऊपर और पीछे (नाभि की ओर) धकेलते हुए प्लेसेंटा बाहर निकालने में सहायता की जाती है।


2. Active Management (AMTSL – Preferred)

  • WHO के अनुसार, प्रसव के 1 मिनट के भीतर parenteral oxytocic देकर शक्तिशाली गर्भाशय संकुचन उत्पन्न करना इसका सिद्धांत है।

  • इससे प्लेसेंटा जल्दी और सुरक्षित रूप से अलग होकर बाहर आ जाता है।

लाभ:

  • रक्तस्राव (blood loss) को लगभग पाँचवें हिस्से तक कम कर देता है।

  • तृतीय चरण की अवधि को आधा कर देता है।

हानि:

  • Retained placenta (1–2%) की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है।

प्रक्रिया:

  • प्रसव के तुरंत बाद Injection Oxytocin 10 units IM (पसंदीदा) या Methergine 0.2 mg IM दिया जाता है।

  • यदि प्लेसेंटा अपने-आप न निकले तो Controlled Cord Traction (Brandt-Andrews method) से निकाला जाता है।

  • पहली कोशिश विफल होने पर 2–3 मिनट बाद पुनः प्रयास किया जाता है, फिर 10 मिनट पर।

  • विफल रहने पर manual removal किया जाता है।


Placenta, Membranes और Cord की जाँच

Placenta:

  • ट्रे में रखकर बहते पानी से खून और थक्के साफ करें।

  • Maternal surface की जाँच करें – यह ग्रे रंग की decidua से ढकी होती है।

  • देखें कि सतह पूर्ण है या कहीं कोई टुकड़ा गायब तो नहीं।

  • अतिरिक्त लोब (succenturiate lobe), infarct, hemorrhage, tumor या नोड्यूल देखें।

  • प्लेसेंटा का वजन दर्ज करें।

Membranes:

  • Chorion और Amnion की पूर्णता की जाँच करें।

  • असामान्य रक्त वाहिनियाँ (abnormal vessels) देखें।

Umbilical Cord (नाल):

  • वाहिकाओं (vessels) की गिनती करें – सामान्यतः 2 धमनियाँ + 1 शिरा

  • नाल का insertion site देखें।

  • सच्चे knots, thrombi या constrictions की जाँच करें।

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