MANAGEMENT OF THIRD STAGE OF LABOR IN HINDI
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https://www.youtube.com/watch?v=HAwM3fDuhiI
प्रसव के तृतीय चरण का प्रबंधन (Management of Third Stage of Labor)
परिचय
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प्रसव का तृतीय चरण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
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सामान्य प्रथम और द्वितीय चरण भी अचानक असामान्य बन सकते हैं और गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं।
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इस चरण के प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य है –
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सतर्क निगरानी रखना
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निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना
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जटिलताओं की रोकथाम करना (विशेषकर Postpartum Hemorrhage)
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प्रबंधन की विधियाँ
तृतीय चरण के प्रबंधन की दो विधियाँ प्रचलित हैं –
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Expectant Management (प्रतीक्षा आधारित प्रबंधन)
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Active Management (सक्रिय प्रबंधन – पसंदीदा)
1. Expectant Management
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इसमें प्लेसेंटा (अवस्थापना) का अलग होना और योनि में नीचे आना स्वाभाविक रूप से होने दिया जाता है।
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आवश्यकता पड़ने पर केवल न्यूनतम सहायता दी जाती है।
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रोगी को कभी अकेला न छोड़ा जाए, निरंतर निगरानी की जाए।
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महिला को dorsal recumbent position में रखा जाए।
Fundus palpation (गर्भाशय फंडस का स्पर्श परीक्षण):
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(a) प्लेसेंटा के अलग होने के लक्षण पहचानने के लिए
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(b) गर्भाशय की गतिविधि (संकुचन और शिथिलता) जानने के लिए
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(c) फंडस की "cupping" पहचानने के लिए (गर्भाशय उलटने का प्रारंभिक लक्षण)
Placenta separation के लक्षण:
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गर्भाशय का संकुचन
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प्रसव पीड़ा जैसी भावना
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रक्त का फव्वारा (10–20 सेकंड में बंद हो जाना)
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नाल (cord) का लंबा होना
Placenta निकालना:
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जैसे ही अलग होने के लक्षण दिखें, महिला को जोर लगाने के लिए कहा जाए।
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प्रायः महिला हल्के प्रयास से ही प्लेसेंटा बाहर निकाल देती है।
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प्लेसेंटा बाहर आते ही उसे पकड़कर धीरे-धीरे घुमाया जाता है ताकि झिल्ली (membranes) पूरी निकल आएँ।
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यदि झिल्ली फटने लगे तो उसे स्पॉन्ज-होल्डिंग फोर्सेप्स से पकड़कर घुमाते हुए बाहर निकाला जाता है।
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यदि स्वतः निष्कासन न हो तो bimanual technique से गर्भाशय को ऊपर और पीछे (नाभि की ओर) धकेलते हुए प्लेसेंटा बाहर निकालने में सहायता की जाती है।
2. Active Management (AMTSL – Preferred)
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WHO के अनुसार, प्रसव के 1 मिनट के भीतर parenteral oxytocic देकर शक्तिशाली गर्भाशय संकुचन उत्पन्न करना इसका सिद्धांत है।
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इससे प्लेसेंटा जल्दी और सुरक्षित रूप से अलग होकर बाहर आ जाता है।
लाभ:
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रक्तस्राव (blood loss) को लगभग पाँचवें हिस्से तक कम कर देता है।
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तृतीय चरण की अवधि को आधा कर देता है।
हानि:
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Retained placenta (1–2%) की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है।
प्रक्रिया:
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प्रसव के तुरंत बाद Injection Oxytocin 10 units IM (पसंदीदा) या Methergine 0.2 mg IM दिया जाता है।
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यदि प्लेसेंटा अपने-आप न निकले तो Controlled Cord Traction (Brandt-Andrews method) से निकाला जाता है।
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पहली कोशिश विफल होने पर 2–3 मिनट बाद पुनः प्रयास किया जाता है, फिर 10 मिनट पर।
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विफल रहने पर manual removal किया जाता है।
Placenta, Membranes और Cord की जाँच
Placenta:
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ट्रे में रखकर बहते पानी से खून और थक्के साफ करें।
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Maternal surface की जाँच करें – यह ग्रे रंग की decidua से ढकी होती है।
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देखें कि सतह पूर्ण है या कहीं कोई टुकड़ा गायब तो नहीं।
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अतिरिक्त लोब (succenturiate lobe), infarct, hemorrhage, tumor या नोड्यूल देखें।
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प्लेसेंटा का वजन दर्ज करें।
Membranes:
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Chorion और Amnion की पूर्णता की जाँच करें।
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असामान्य रक्त वाहिनियाँ (abnormal vessels) देखें।
Umbilical Cord (नाल):
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वाहिकाओं (vessels) की गिनती करें – सामान्यतः 2 धमनियाँ + 1 शिरा।
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नाल का insertion site देखें।
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सच्चे knots, thrombi या constrictions की जाँच करें।
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